Don't Mind... Better Option
I have to go to Delhi almost everyday for business work.
,
On return, I stop for dinner at a dhaba in Murthal.
,
Have your own dinner menu set
half dal
3 bread
1 plate salad
2 bowl white butter
and lastly kheer
,
Almost everyday a person comes to my table.
,
i tell him the same menu
for the past few days
he doesn't even bother to ask me
,
i sit
he serves salad
then bring the rest of the ingredients one by one
,
last night i came and sat at the dhaba
familiar brother who used to take orders every day
he was nowhere to be seen
,
my eyes were searching for him
Meanwhile a young boy came to the table and said
"Bhola Bhaiya has not come sir.
He is unwell"
,
I don't know
the person i order food from everyday
His name is "Bhola"
,
What is your name !!
I asked the young man standing in front
,
"Our Name Is Akaas"
he snapped
,
Most of the workers at Murthal's dhabas are Biharis... I don't like the young man calling Akash "S" as "S".
,
Most importantly, his shoes were shining
Seemed to have been polished.
,
I just started telling my menu
that he cut me off
,
know sir
Green salad... Daal... Butter... Roti... Kheer...
,
I looked at him... smiled and said
"If you know, bring it
Dying of hunger"
,
Aakash went to the kitchen
and came back shortly after, said
"Sir please Don't Mind, there is a Better Option for you"
,
i was speechless for a moment
"Don't mind..." "Better Option..." !!
,
A waiter of Dhaba was standing in front of me or an MBA manager from some management institute!! By looking at the face, it was not felt that he would also know "A" in English.
,
i was taken aback
"Is there a better option sir"!!
I asked sarcastically
,
The boy picked up the menu card and said
you take veg plate sir
It has pulses...two vegetables...pulao...salad...and sweet kheer too.
,
And sir, this thali will cost you 20% less than your menu."
the boy said it all in one breath
,
First "Don't Mind... Better Option"
i.e. english
And now "20 percent"
i.e. Mathematics
,
Now who is this boy!!
,
looked carefully
So there was indeed a 20% difference in the bill.
,
I have seen 42 years of age
read the letter without opening the envelope
,
What do you do !!
I asked him with questioning eyes
,
work here
He replied
,
Apart from this what do you do!!
I asked
,
Preparing for UPSC sir
live in delhi during the day
There is night duty at Dhaba.
she replied in a confident voice
,
"Get Batter Option"
i said smiling
,
Had meal
The bill was on the table and Akash was standing in front of him.
,
after a long time
I didn't tip any waiter...
He wasn't even a tipping person...
,
i had a parker pen
I put that pen in his shirt pocket...
,
The sparkle in his eyes was worth watching...
,
There is a class...
who of course lives in abject poverty
dependent on grains
Digging well everyday, drinking water everyday...
But Still Looking For My "Better Option"
,
this class in the day
Faced in books... fighting the battle of dreams
and in the night
Serving food at Dhaba is fighting for survival...
,
And it's the class that wins
because it has nothing to lose
And there's a whole world to conquer
,
I came here last night to present a pen to a future administrative officer
no matter how dire the situation
The only "better option" is to continue the struggle.
व्यवसायिक कार्य से लगभग हर रोज दिल्ली जाना होता है...
.
वापसी पर मुरथल के एक ढाबे पर रात्रिभोज हेतु रुकता हूं.
.
अपना खाने का मेन्यू सेट है
हाफ दाल
3 रोटी
1 प्लेट सलाद
2 कटोरी सफेद मक्खन
और आखिर में खीर
.
लगभग हर रोज एक व्यक्ति मेरी टेबल पर आता है.
.
मैं उसे वही मेन्यू बताता हूं
बीते कुछ दिनों से
वह मुझसे पूछने की जहमत भी नहीं करता
.
मैं बैठता हूं
वो सलाद परोस देता है
फिर एक एक कर बाकी सामग्री ले आता है
.
कल रात मैं ढाबे पर आ कर बैठा
चिरपरिचित बंधु जो हर रोज ऑर्डर लेता था
वह कहीं दिखाई ना दिया
.
मेरी नजरें उसे तालाश ही रही थीं
इतने में एक नौजवान लड़का टेबल पर आया और बोला
"भोला भईया नहीं आए हैं सर
उनका तबियत खराब है"
.
मुझे नहीं पता था
जिस व्यक्ति को मैं रोज खाने का ऑर्डर देता हूं
उसका नाम "भोला" है
.
आपका क्या नाम है !!
मैंने सामने खड़े नवयुवक से पूछा
.
"हमारा नाम आकास है"
उसने फट से जवाब दिया
.
मुरथल के ढाबों पर अधिकतर कर्मचारी बिहारी हैं... नवयुवक का आका"श" को "स" कहना मुझे खला नहीं... लड़का टिप टॉप था... सधी हुई कद काठी, तेल से चुपड़े कंघी किए हुए बाल...
.
सबसे बड़ी बात उसके जूते चमक रहे थे
लग रहा था कि पालिश किए गए हैं.
.
मैंने अपना मैन्यू बताने की शुरुआत की ही थी
कि उसने मेरी बात काटते हुए कहा
.
पता है सर
हरा सलाद... दाल... मक्खन... रोटी... खीर...
.
मैंने उसकी ओर देखा... मुस्कुराया और कहा
"पता है तो ले आईए
भूख के मारे जान निकल रही है"
.
वह किचन की ओर चला गया
और कुछ ही समय बाद वापिस आया, बोला
"सर डोंट माइंड, आपके लिए एक बैटर ऑप्शन है"
.
मैं एक क्षण को अवाक रह गया
"डोंट माइंड..." "बैटर ऑप्शन..." !!
.
मेरे समाने ढाबे का एक वेटर खड़ा था या किसी मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट से एमबीए मेनेजर !! शक्ल देख कर तो लग ना रहा था कि ऊन्ने अंग्रेजी का "ए" भी आता होगा
.
मैं हतप्रभ था
"क्या बैटर ऑप्शन है सर" !!
मैंने व्यंगतामक लहजे में पूछा
.
लडके ने मेन्यू कार्ड उठाया, बोला
आप वेज थाली लीजिए सर
इसमें दाल है... दो सब्जी है... पुलाव है... सलाद है... अउर मीठा मैं खीर भी है
.
और सर, ये थाली आपको आपका मेन्यू के मुकाबले बीस परसेंट सस्ता पड़ेगा"
लड़का एक ही सांस में सब कह गया
.
पहले "डोंट माइंड... बैटर ऑप्शन "
यानी अंग्रेजी
और अब "20 परसेंट"
यानी मैथेमेटिक्स
.
अबे कौन है ये लड़का !!
.
ध्यान से देखा
तो वाकई बिल में बीस परसेंट का अंतर भी था
.
उम्र के 42 बसंत देख चुका हूं
लिफाफा खोले बिना मजमू/खत पढ़ लेता हूं
.
क्या करते हो !!
मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से उससे पूछा
.
यहीं काम करते हैं
उसने जवाब दिया
.
इसके अलावा क्या करते हो !!
मैंने पूछा
.
"यूपीएससी का तैयारी कर रहे हैं सर
दिन में दिल्ली रहते हैं
ढाबा पर नाइट ड्यूटी रहता है"
आत्मविश्वास भरी आवाज़ में उसने जवाब दिया
.
"बैटर ऑप्शन ले आओ"
मैंने मुस्कुराते हुए कहा
.
खाना खाया
बिल टेबल पर था और आकाश नहीं नहीं आका"स" समाने खड़ा था
.
एक लम्बे अर्से बाद
मैंने किसी वेटर को टिप नहीं दी...
वह टिप देने लायक व्यक्ति था भी नहीं...
.
मेरे पास पार्कर का एक पेन था
मैंने उसकी शर्ट की जेब में वह पेन लगा दिया...
.
उसकी आंखों की चमक देखने लायक थी...
.
एक वर्ग है...
जो बेशक घोर गरीबी में जी रहा है
दाने दाने का मोहताज है
रोज कुआं खोद रोज पानी पी रहा है...
लेकिन फिर भी अपने लिए "बैटर ऑप्शन" खोज रहा है
.
यह वर्ग दिन में
किताबों में मुंह दिए... सपनों की लड़ाई लड़ रहा है
और रात में
ढाबे पर खाना परोसता सर्वाइवल की लड़ाई लड़ रहा है...
.
और जीतता भी यही वर्ग है
क्योंकि इसके पास... हारने को कुछ भी नहीं है
और जीतने को पूरी दुनिया पड़ी है
.
मैं कल रात भविष्य के एक प्रशासनिक अधिकारी को पेन भेंट कर आया हूं
परिस्थिति जितनी भी विकट हो
संघर्ष जारी रखना ही "बैटर ऑप्शन" है.
.
🇮🇳🇮🇳🇮🇳एक मित्र का सुंदर प्रयास
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