Goat Number Three [3]

Goat Number  Three [3]

💐💐तीसरी बकरी💐💐

Third Number Goat



Rohit and Mohit were very mischievous children, both were 5th standard students and used to go to school together.


One day when the school was over, Mohit said to Rohit, "Friend, do I have an idea in my mind?"


“Tell me…what is the idea?”, asked Rohit excitedly.


Mohit- "Look at that, there are three goats grazing in front."


Rohit- "So! What do we have to do with them?"


Mohit- "Today we will leave the school at the end and before leaving we will catch these goats and drop them in the school, tomorrow when the school opens then everyone will waste their time searching for them and we will not have to study…"


Rohit- “But finding such big goats is not a difficult task, they will be found in no time and then everything will be normal….”


Mohit- "Hahaha... that's the point, those goats won't be able to find it easily, just you go see what I do!"


After this, both the friends kept sitting in their class on the pretext of studying even after the holiday and when all the people left, they caught the three goats and brought them inside the class.


Bringing in, both the friends made a black circle on the back of the goats. After this Mohit said, "Now I put the numbers on these goats., and he started writing the numbers in white color-


number 1 on the first goat

second pay number 2

and third pay number 4


"what is this? Why did you put number 4 on the third goat?", asked Rohit in surprise.


Mohit laughed and said, "Friend, this is my idea, now to see tomorrow, all will spend the whole day searching for the third number goat... and it will never be found..."


The next day both the friends reached the school a little before time.


Within no time there was a noise of goats inside the school.



Somebody was shouting, “There are four goats, the first, second and fourth number goats were easily found…just to find the third number.”


All the staff of the school was busy in finding the third number goat…the teacher went to each class and took a good search. Some Khoju Veer School's


On the roofs also, goats were seen searching… Many senior children were also engaged in this work.


A lot of effort was made to find the third goat….but the goat would have been found only when it was there…


Today everyone was upset but Rohit and Mohit were never so happy before. Today he had made a goat invisible with his cleverness.


 It is natural to have a small smile on your face after reading this story. But along with this smile, we must also understand the hidden message in it. The third goat, in fact, are the things that we are desperate to find, but we never find them….Because they don't really exist!


We want a life that is complete, in which there are no problems…. it does not exist!

We want a companion who understands us completely, with whom we never have a rift…..it does not exist!

We want a job or business in which everything is always running smoothly…it does not exist!


Is it necessary to be worried about something all the time? It may also be that whatever is in our life is enough to solve the riddle of our life….It may also be that the third thing we are looking for is not in reality at all. ….and we are already perfect!



Be healthy, be happy. 




रोहित और मोहित बड़े शरारती बच्चे थे, दोनों 5th स्टैण्डर्ड के स्टूडेंट थे और एक साथ ही स्कूल आया-जाया करते थे।


एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हो गयी तब मोहित ने रोहित से कहा, “ दोस्त, मेरे दिमाग में एक आईडिया है?”


“बताओ-बताओ…क्या आईडिया है?”, रोहित ने एक्साईटेड होते हुए पूछा।


मोहित- “वो देखो, सामने तीन बकरियां चर रही हैं।”


रोहित- “ तो! इनसे हमे क्या लेना-देना है?”


मोहित-” हम आज सबसे अंत में स्कूल से निकलेंगे और जाने से पहले इन बकरियों को पकड़ कर स्कूल में छोड़ देंगे, कल जब स्कूल खुलेगा तब सभी इन्हें खोजने में अपना समय बर्वाद करेगे और हमें पढाई नहीं करनी पड़ेगी…”


रोहित- “पर इतनी बड़ी बकरियां खोजना कोई कठिन काम थोड़े ही है, कुछ ही समय में ये मिल जायेंगी और फिर सबकुछ नार्मल हो जाएगा….”


मोहित- “हाहाहा…यही तो बात है, वे बकरियां आसानी से नहीं ढूंढ पायेंगे, बस तुम देखते जाओ मैं क्या करता हूँ!”


इसके बाद दोनों दोस्त छुट्टी के बाद भी पढ़ायी के बहाने अपने क्लास में बैठे रहे और जब सभी लोग चले गए तो ये तीनो बकरियों को पकड़ कर क्लास के अन्दर ले आये।


अन्दर लाकर दोनों दोस्तों ने बकरियों की पीठ पर काले रंग का गोला बना दिया। इसके बाद मोहित बोला, “अब मैं इन बकरियों पे नंबर डाल देता हूँ।, और उसने सफेद रंग से नंबर लिखने शुरू किये-


पहली बकरी पे नंबर 1

दूसरी पे नंबर 2

और तीसरी पे नंबर 4


“ये क्या? तुमने तीसरी बकरी पे नंबर 4 क्यों डाल दिया?”, रोहित ने आश्चर्य से पूछा।


मोहित हंसते हुए बोला, “ दोस्त यही तो मेरा आईडिया है, अब कल देखना सभी तीसरी नंबर की बकरी ढूँढने में पूरा दिन निकाल देंगे…और वो कभी मिलेगी ही नहीं…”


अगले दिन दोनों दोस्त समय से कुछ पहले ही स्कूल पहुँच गए।


थोड़ी ही देर में स्कूल के अन्दर बकरियों के होने का शोर मच गया।



कोई चिल्ला रहा था, “ चार बकरियां हैं, पहले, दुसरे और चौथे नंबर की बकरियां तो आसानी से मिल गयीं…बस तीसरे नंबर वाली को ढूँढना बाकी है।”


स्कूल का सारा स्टाफ तीसरे नंबर की बकरी ढूढने में लगा गया…एक-एक क्लास में टीचर गए अच्छे से तालाशी ली। कुछ खोजू वीर स्कूल की


छतों पर भी बकरी ढूंढते देखे गए… कई सीनियर बच्चों को भी इस काम में लगा दिया गया।


तीसरी बकरी ढूँढने का बहुत प्रयास किया गया….पर बकरी तब तो मिलती जब वो होती…बकरी तो थी ही नहीं!


आज सभी परेशान थे पर रोहित और मोहित इतने खुश पहले कभी नहीं हुए थे। आज उन्होंने अपनी चालाकी से एक बकरी अदृश्य कर दी थी।


 इस कहानी को पढ़कर चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आना स्वाभाविक है। पर इस मुस्कान के साथ-साथ हमें इसमें छिपे सन्देश को भी ज़रूर समझना चाहिए। तीसरी बकरी, दरअसल वो चीजें हैं जिन्हें खोजने के लिए हम बेचैन हैं पर वो हमें कभी मिलती ही नहीं….क्योंकि वे हकीकत में होती ही नहीं!


हम ऐसी लाइफ चाहते हैं जो पूर्ण हो, जिसमे कोई समस्या ही ना हो…. it does not exist!

हम ऐसा हमसफ़र चाहते हैं जो हमें पूरी तरह समझे जिसके साथ कभी हमारी अनबन ना हो…..it does not exist!

हम ऐसी नौकरी या बिजनेस चाहते हैं, जिसमे हमेशा सबकुछ एकदम आराम से चलता रहे…it does not exist!


क्या ज़रूरी है कि हर वक़्त किसी चीज के लिए परेशान रहा जाए? ये भी तो हो सकता है कि हमारी लाइफ में जो कुछ भी है वही हमारे जीवन की पहेली को हल करने के लिए पर्याप्त हो….ये भी तो हो सकता है कि जिस तीसरी चीज की हम तलाश कर रहे हैं वो हकीकत में हो ही ना….और हम पहले से ही परिपूर्ण हों!


स्वस्थ रहिये, प्रसन्न रहिये।

जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

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